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गुंडाराज की जद में मुलायम का मुस्लिम वोट बैंक …..

नवदर्शन
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उत्तरप्रदेश के कुंडा में हुए प्रशासनिक अमले के एक बड़े अधिकारी की हुई सरेआम निर्मम हत्या ने सपा सरकार के गुंडाराज मुक्त शासन के वादे की हवा निकाल कर रख दी है|सत्तासीन सरकार की पहली वर्षगाँठ के ठीक हफ्ते भर पहले इस तरह की घृणित वारदात ने सुशासन की मंशा पर सवालिया निशान लगा दिए है | अपनी कथनी और करनी में दोमुहेपन के लिए विख्यात नेताजी और उनके पुत्र ने एक तरफ लगातार आम जनता को यह विश्वास दिलाया कि इस बार कि सरकार में पूर्व की भांति अनुशासनहीनता और अराजकता का कोई स्थान नहीं होगा| तो दूसरी ओर जनता के विश्वास का गला घोटते हुए पूर्ण बहुमत में होते हुए भी निर्दलीय बाहुबली विधायक राजा भईया को कैबनिट मंत्री बना अपनी मंशा जाहिर कर दी !
शर्म की बात है कि मुसलमानों का सच्चा हितैषी साबित करने की होड़ में सबसे आगे रहने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी के शासन में एक मुस्लिम नौकरशाह की इस प्रकार की हत्या पर मौन क्यों है?
आतंकी हमलों के जिम्मेदार मुस्लिम युवकों को सजा से बचाने के लिए करोड़ों प्रदेशवासियों की जिंदगी का सौदा किया जा सकता है पर आज एक प्रशासनिक अधिकारी जो अल्पसंख्यक भी था कि मौत पर आप की सरकार मौन क्यों है ? कल तक सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू करवाने को लेकर केंद्र सरकार गिराने तक की बात करने वाले नेता जी अपने प्रदेश में एक मुस्लिम पुलिस अधिकारी के साथ हुए इस नृशंस कृत्य पर कहाँ छिपे है?
क्या इस पूरे घटनाक्रम पर गम्भीरता से विचार करने के पश्चात यह कहना क्या गलत होगा कि मुलायम और उनकी पार्टी की मुस्लिमपरस्ती महज उनके वोट बैंक का एक माध्यम भर है !
एक प्रश्न इस मंच के माध्यम से पूछना चाहता हू माननीय मुख्यमंत्री जी से क्या प्रदेश की जनता अपनी गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा कर के रूप में आप को इस लिए देती है कि आप हर हत्या, लूट, बलात्कार, नरसंहार पर अपनी प्रशासनिक चूक को छिपाने के लिए उसका बंदरबाट करे| उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा करो का बोझ है पर विकास के मामले में हम सबसे निचले पायदान पर है ऐसा क्यों? क्या खजाने में एकत्र धन मुख्यमत्री जी की निजी सम्पति है जिसे वो अपनी प्रशासनिक अक्षमता की क्षतिपूर्ति के रूप में इस्तेमाल कर रहे है| माननीय अब तो जनता को चांदी के सिक्को से खरीदना बंद करो, सिपाही के रक्त की कीमत चांदी के चन्द सिक्के नहीं हो सकते कुछ तो शर्म करो !
उत्तरप्रदेश जैसे उर्वरा प्रदेश के लिए ऐसी घटनाए दुखद है जहाँ राजनीति, कला, विज्ञान और साहित्य के बड़े बड़े मनीषी हुए हो वहाँ का बौद्धिक स्तर आज इतना नीचे गिर गया है कि अपने राज्य के सञ्चालन के लिए गंभीर, विकासशील और अपराधमुक्त शासन देने वाला शासितदल नहीं चुन सकता !
विचारणीय तथ्य यह है कि जिस प्रदेश में जनता को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तैनात अधिकारी असुरक्षित है तो जनता की सुरक्षा का तो ईश्वर ही मालिक है !
साथियों अब भी वक्त है यह विचार करने का कि मजह लालच के वशीभूत होकर चांदी के चन्द सिक्को पर अपना भविष्य गिरवी रखना बुद्धिमानी नहीं है | विकास के पथ पर अग्रसर होने के लिए कुछ कड़े और साहसी निर्णय लेने होते है जिनका समय अब आ गया है| मेरे अपील है कौम विशेष के उन लोगो से जिनको कुछ लोगो ने अपना राजनीतिक हथियार बना लिया है जिनकी बातें वो तब तक करते है जब तक उनके मजबूत कंधो पर कदमताल करते हुए सत्ता के सुखीन आसन तक ना पहुच जाये उसके बाद उनके लिए इन बातों से कोई सरोकार नहीं इसका ताजा उदाहरण पुलिस उपाधीक्षक महोदय की निर्मम हत्या और उस पर शासन की मौन स्वीकारोक्ति है !
उम्मीद करता हू जल्द ही उस कर्तव्यनिष्ठ वीर को न्याय मिलेगा !

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