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मेरा सदैव यही मानना रहा है कि प्रेम एक दर्शन है, ना कि प्रदर्शन!
प्रेम जीवन राग है, उत्कृष्टता की उच्चतम सीमा है, दैवीय गुण है जिसका आचरण सदैव मर्यादित होना चाहिए |
आज जब कि हमारा समाज तेजी से अपनी परम्परा को दरकिनार करते हुए पाश्चात्य की शैली का अंधानुकरण कर रहा है तो इस बात की महत्ता और बढ़ जाती है कि हम प्रेम के वास्तविक स्वरूप को समझे |
अंग्रेजी पंचांग के अनुसार बसन्त का यह मौसम प्रेम के लिए माना जाता है, पर शायद हम यह भूल जाते है कि यह परम्परा हमारे यहाँ प्राचीनकाल से रही है, बसंत का मौसम ह्रदय मे उमंग और उल्लास का संचार करता है | सर्द ऋतु के बाद पतझड़ और फिर बसंत का आना प्रकृति के विसृजन और सृजन का अनुपम उदाहरण है |
मन का उल्लासी होना हमेशा ही नयी भावनाओ का सूत्रपात करता है और सृष्टि की प्रकृति के अनुसार उम्र के एक पड़ाव पर किसी के लिए आकषर्ण होना स्वाभाविक है |
साथ ही इस बात पर भी विचार किया जाना चाहिए कि आपकी भावनाओं पर आपका निजी हक है उसके लिए आपको किसी की भावना को आहत करने का कोई आधिकारिक हक नहीं है |
हमारे सभ्यता संस्कृति में प्रेम को ईश्वर की प्रकृति माना गया है और यह सत्य भी है प्रेम के बिना मनुष्य, मनुष्य नहीं हो सकता परन्तु मर्यादित प्रेम ही मनुष्यता का प्रारम्भिक लक्षण है |
प्रेम सिर्फ पाना नहीं अपितु खोना ही सच्चा प्रेम है | पाश्चात्य सभ्यता ने मनुष्य को निर्भीक बनाया है यह उसकी एक अच्छी विशेषता है| हमारी संस्कृति को सही ना समझ पाने की वहज से कई बार लोग पाश्चात्य को भारतीयता से अच्छा कह देते है पर ऐसा नहीं है |
कुछ बातों को सही संदर्भ में ना लेने और कुछ तथाकथित लोगो के निजी स्वार्थ ने हमारे मूल्यों को रुढिवादी और संकुचित कर दिया है |
हमारे मूल्य हमे हमेशा मर्यादित व्यवहार की शिक्षा देते है जिसमे किसी भी पक्ष का अहित होने की सम्भावना क्षीण हो जाती है|
गत दिन से पाश्चात्य सभ्यता का एक विशेष सप्ताह शुरू हो गया है जिसमे लोग अपने ह्रदय के भावों का प्रदर्शन करते देखे जाते है मेरा कोई विशेष बैर या दुराव पाश्चात्य संस्कृति नहीं है बल्कि मैं तो यह मानता हू कि व्यक्ति को हंस की तरह होना चाहिए जो दूध और पानी को अलग कर लेता है अच्छाई और बुराई समान रूप से हर जगह है पर हम अच्छाईयों को ग्रहण करते हुए बुराईयों से तौबा करे |
“इस विशेष सप्ताह पर अपने अपने ख्वाबो के साथ न्याय करने जा रहे युवाओ से मेरी बस इतनी गुजारिश है कि किसी भी आचरण से पूर्व इस बात का भान जरूर करे कि आप के उस व्यवहार से किसी की निजी भावनाये आहत ना हो |”
“हमने भी कभी भूल से इक प्यार किया था
तड़प रहा है दिल आज भी उस इन्तजार मे”
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