नवदर्शन
- 19 Posts
- 36 Comments
क्यू उदास है तू आजकल, क्यू दूर है दफा दफा
हुआ है क्या बता मुझे ना रह तू यूँ खफा खफा
तू चमन की है कली, बहार सी खिली-खिली
हुआ क्या जो तू आजकल रहे सदा हिली-हिली
मेरी जरा सुनो भी तो दिलों के तार खोल दो
जो द्वंद सा अतंर में है उसको बाहर बोल दो
खुद तो जी रहा हू मैं इस दर्द ही के साथ में
फिर कैसे देख लूँ भला तुझे भी अपने हाल में
अजीब उलझनों का दौर आ गया है राह में
हर कदम पे कीमते देनी पड़ी है चाह में
अंत में यही अर्ज है मेरी तुझसे ए दोस्त
खुश रहो, हँसो सदा ज्यादा ना रखो दिल पे बोझ !
Read Comments