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“शर्म इस देश का सबसे अनमोल गहना है ”

नवदर्शन
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“शर्म इस देश का सबसे अनमोल गहना है ”
यह संवाद मनोज कुमार निर्मित “पूरब -पश्चिम ” फिल्म में उद्धृत किया गया था जो यथार्थ है पर मुझे यह आजकल की इन नवीन परिस्थितियों में ज्यादा समझ आया जब ये पता चला कि संकट के समय मनुष्य सबसे पहले अपने गहने गिरवी रख कर अपना काम चलाता है |

अब जिस तरह राजनीतिक, सामाजिक साथ ही साथ सांस्कृतिक व खेल क्षेत्रों के लोगो ने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए अपनी शर्म को गिरवी रख दिया है उससे तो इस कथन की सार्थकता सिद्ध हो जाती है |

राजनीतिक क्षेत्र के हालात से तो आप सब वाकिफ ही है कि कैसे प्रधानमंत्री जी कोयले की दलाली के बाद भी शान से अपने पद पर आसीन है, खुद को धरती पुत्र कहने वाले तथाकथित नेता किसानो की हिमाकत भाषणों तक ही कर पाते है, कमजोरों और असहायो की मसीहा कहलाने वाली बहन जी एक दिन में ही सुर बदल लेती है, ऐसे अनगिनत उदाहरण समसामयिककाल में घटित हुए है जिन्हें देख कर ये सहज तौर कहा जा सकता है कि माननीयों ने अपनी शर्म को गिरवी रख दिया है |

सामाजिक क्षेत्र में भी कमोबेश यही हाल है, खुद को जनता के बीच का कहकर राजनीति से दूर रहने की कसमे खाकर, एक दिन अपनी सारी बाते भुलाकर जनता को गुमराह कर लोग आम से खास बन जाते है |

बात करे सांस्कृतिक क्षेत्र की तो फिल्मे समाज को नयी राह दिखाती है पर आज काल के साहित्य और फिल्मो में अश्लीलता का जो नया समावेश आया है उसे देखकर यही कहना शेष है कि आदिमानव युग में भी शायद हमारे पूर्वज इससे कही ज्यादा वस्त्र पहनते होंगे और कहीं ज्यादा सभ्य रहे होंगे | फिल्मों में कुछ नई अदाकाराओ के आने के साथ इस बात की पुष्टि हो गई है कि सांस्कृतिक क्षेत्र खास तौर पर फिल्म क्षेत्र ने तो इस गहने को गिरवी बहुत पहले रखा था अब तो पूरा बेच दिया है |

अब बात महत्वपूर्ण खेल क्षेत्र की ऐसा क्षेत्र जो राष्ट्र के मानकों में चार चाँद लगाता है जिस विधा के माध्यम से देश का आम आदमी खुद को राष्ट्र के सम्मानसे सीधा जुडा हुआ पाता है उसकी स्थिति भी बद से बदतर है | देश के प्रमुख खेल संघों की मान्यता विश्व समुदाय द्वारा निष्कासित कर दी गई है वो इस आधार पर कि इन खेल संघों में भ्रष्ट और दागी छवि के लोग है, इस गंम्भीर मुद्दे पर मंथन के बजाय हमारा खेल संघ अपनी शर्म को गिरवी रख आंतरिक राजनीति और गुटबाजी में व्यस्त है|

देश के सबसे लोकप्रिय खेल की बात करे जिससे गाहे बगाहे हर एक देशवासी आत्मीय लगाव से जुड़ा है, में देश की लगातार हो रही किरकिरी पर दल के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी जो खुद अपने निजी प्रदर्शन से ना तो दल का हौसला बढ़ा पा रहे है ना ही दल का केंद्रित नेतृत्व ही कर पा रहे है पर इस बेशुमार गहने को गिरवी रख अब तक अपनी जगह और नेतृत्व बनाये हुए है |
दल के एक अतिमहत्वपूर्ण सदस्य जिनको इस विधा का ईश्वरीय अवतार माना जाता है अपनी शारीरिक मजबूरियों के कारण अब इस खेल की नैसर्गिक सेवा करने में असमर्थ हो चुके है और सम्मानीय विदाई के पात्र है पर अपनी जिद और साख के बूते अपने इस गहने का सही उपयोग कर रहे है |
इस तरह के कई घटनाक्रम और भी होंगे जिनका जिक्र मैं शायद ना कर सका हू पर इन सबको देखने, जानने के बाद यह कहने में कोई संशय नही देश का सबसे अनमोल आभूषण (गहना) “शर्म” सचमुच गिरवी रखा जा चूका है |
उम्मीद है आने वाले समय में हम जागृत होंगे इस आभूषण को माँ भारती के सम्मान में पुनः वापस ला सकेंगे |

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